आयुर्वेद में तांबे के बर्तन में रखे पानी अमृत के समान माना जाता है। आपने अपने बड़े-बुजुर्गों को रोज सुबह उठकर या पूरे दिन तांबे के बर्तन में रखा पानी पीते भी देखा होगा। यकीनन इसके कुछ विज्ञानपरक फायेद भी हैं। लेकिन इसके साथ कुछ बातों का ध्यान रखना भी आवश्यक होता है। तो चलिये जानते हैं कि तांबे के जग में रखा पानी पीने के क्या फायदे होते हैं और इसके उपयोग का सही तरीका क्या है।
रखने का सही तरीका
सबसे जरूरी बात कि तांबे या किसी भी अन्य धातु के बर्तन जिससे पानी पीना है उसे जमीन पर रखने की बजाय लकड़ी की मेज या पट्टे पर रखें, क्योंकि गुरूत्वाकर्षण की वजह से तांबे में मौजूद गुणकारी तत्व पानी में अवशोषित नहीं हो पाते हैं। तांबे के लोटे में रखे पानी को सर्दी और गर्मी दोनों मौसम में पिया जा सकता है।
तांबे के बर्तन में रखे पानी के लाभ
तांबे को ओलीगोडिनेमिक (बैक्टीरिया पर धातुओं की स्टरलाइज प्रभाव) के रूप में जाना जाता है। इसमें रखे पानी को पीने से बैक्टीरिया को आसानी से नष्ट हो जाते हैं। तांबा आम जल जनित रोग जैसे डायरिया, दस्त और पीलिया को रोकने में मददगार होता है। यहां तक कि जिन जगहों परपानी के लिये अच्छी स्वच्छता प्रणाली नहीं होती है, वहां तांबा पानी की सफाई के लिए सबसे सस्ते समाधान के रूप में इस्तेमाल होता है।
तांबे के लोटे में पानी रातभर रखे। सुबह कुल्ला करने के बाद खाली पेट पीने से बैक्टीरिया खत्म करने में मदद मिलती है, थायरॉयड ग्रंथि की कार्यप्रणाली पर नियंत्रण होता है, मस्तिष्क बेहतर काम कर पता है, पाचन क्रिया दुरुस्त होती है, उम्र बढ़ने की प्रक्रिया धीमी होती है तथा दिल भी सवस्थ रहता है। इस पानी को रोजाना एक गिलास या इससे अधिक मात्रा में पिया जा सकता है।
No comments:
Post a Comment